जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संगरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय
ऊपरी यमुना नदी बोर्ड का गठन और कार्य
1. गठन
सदस्य, केंद्रीय जल आयोग, बोर्ड के अंशकालिक अध्यक्ष होंगे और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्यों से मनोनीत एक-एक अधिकारी जिनका ओहदा मुख्य इंजीनियर से कम ना हो और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का एक मुख्य इंजीनियर तथा केंद्रीय भूजल बोर्ड एवं केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के प्रतिनिधि इसके अंशकालिक सदस्य होंगे |
बोर्ड का एक पूर्णकालिक सदस्य सचिव होगा उनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा एक बार में 3 वर्षों की अवधि के लिए की जाएगी और वह इन किन्ही भी बेसिन राज्यों से संबंधित नहीं होगा ।
2. कार्य
ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के प्रमुख कार्यों मे निम्नलिखित शामिल है:
(क) दिनांक 12-5-1994 के समझौता ज्ञापन के अनुसरण में बेसिन राज्य सरकारों के मध्य हुए समझौते अथवा की गई व्यवस्थाओं का ध्यान रखकर ओखला बैराज सहित ओखला तक विद्यमान एवं नदी प्रवाही जल विद्युत केंद्रों की अतिभार आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी भंडारणों और राज्यों से जल का विनियमन एवं आपूर्ति करना | नियंत्रण संरचनाओं का संचालन एवं अनुरक्षण प्रत्येक संरचना के संबंध में समझौतों के अनुसार संबंधित राज्यों को करना होगा | यदि किसी समय किसी संरचना से प्रभाव के विनियमन के संबंध में विवाद होता है तो बोर्ड उस संरचना के संचालन एवं नियंत्रण का कार्य उस समय तक करेगा | जब तक कि विवाद का समाधान नहीं हो जाता परंतु ऐसा कार्य पुनरीक्षण समिति के अनुमोदन से किया जाएगा तथा यह भी कि पुनरीक्षण समिति की बैठक 15 दिन के भीतर नहीं हो पाती है तो पुनरीक्षण समिति के अध्यक्ष इस संबंध में निर्णय करेंगे।
(ख) परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए पूरे वर्ष ताजेवाला/ हथनीकुंड हेडवर्क्स के अनुप्रवाह एवं ओखला हेड वर्क्स के अनुप्रवाह में, जैसे-जैसे प्रतिप्रवाह भंडारण सोपनाबद्ध तरीके से उत्तरोत्तर बनाए जाएंगे, 10 क्यूमेक तक न्यूनतम प्रवाह भंडारण के निर्माण अनुपात में बनाए रखना ।
(ग) सहमति अनुसार, यमुना से दिल्ली द्वारा लिए गए जल से नगरीय और पेयजल उद्देश्यों के लिए खपतकारी प्रयोग के बाद तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार बहिस्त्राव की उचित गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपचार उपलब्ध कराने के पश्चात वापसी प्रवाहों का प्रबोधन करना | इस उद्देश्य के लिए बोर्ड संबंधित बेसिन राज्यों के परामर्श से ऐसी योजना तैयार करेगा जिसमें, वह स्थान जहां से कच्चा पानी लिया जाएगा तथा उसकी मात्रा और वह स्थान जहां पर उचित उपचार के पश्चात अधिक लिए गए जल, को प्रणाली को वापस किया जाएगा, का विवरण दिया गया होगा ।
(घ) गाद निकालने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों द्वारा यमुना से लिए गए जल के वापसी प्रवांहों का प्रबोधन करना ।
(ड) हथनीकुंड के प्रतिप्रवाह पर यमुना नदी से खारा जल विद्युत केंद्र की टेल रेस चैनल से प्रवाह का प्रबोधन करना, बशर्ते कि हथनीकुंड बराज का डिजाइन ऐसा होना चाहिए जो खारा टेल रेस चैनल का इष्टतम प्रचालन सुनिश्चित कर सके और पश्चिमी यमुना नहर की द्वितीय चरण की जल विद्युत परियोजना का प्रावधान भी रखा जाए ।
(च) विनियमन के प्रयोजन से प्रत्येक राज्य हेतु प्रति 10 दिन के लिए जल की हिस्सेदारी का हिसाब रखने और उसका निर्धारण करने के लिए नियम एवं विनियम बनाना ।
(छ) बोर्ड द्वारा आवश्यक समझे गए सभी केंद्रों पर यमुना के प्रभावों का समवर्ती अभिलेख रखना, अभिलेखों पर विचार/ उन्हें पूरा करना एवं प्रत्येक जल वर्ष में यमुना नदी में बहने वाले जल की मात्रा का निर्धारण ।
(ज) सिंचाई, घरेलू, नगरीय एवं औद्योगिक अथवा किसी अन्य प्रयोजन हेतु निकासियों एवं ओखला से नीचे नदी में जल प्रवाह के आंकड़ों का समवर्ती रिकॉर्ड रखना ।
(झ) सभी आवश्यक उपाय, जैसे कि सेल्फ रिकॉर्डिंग गेजों की प्रतिष्ठापना, बिना किसी बाधा के प्रेक्षण, रेटिंग क्रव तैयार करने के संबंध में दिशानिर्देश आदि, करके सभी संबंधित राज्यों को उनकी हकदारियों के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित करना | ऐसे नियंत्रण केंद्रों का चयन करना, जहां बोर्ड उपरोक्त समुचित उपाय करना चाहता हो जिनमें वे सब केंद्र जहां यमुना जल का बंटवारा एक से अधिक राज्यों के बीच किया जा रहा हो तथा संबंधित नदियों एवं नहरों पर स्थित वे सब विनियमन केंद्र जहां बंटवारे के योग्य आपूर्ति का निर्धारण किया जा रहा हो, शामिल किए जाएंगे परंतु इन्हीं तक सीमित नहीं रहेंगे | जहां तक नियंत्रण केंद्रों के चयन का संबंध है, बोर्ड का निर्णय अंतिम एवं बाध्य होगा | सभी संबंधित राज्य पूर्ण रुप से सहयोग देंगे और उनकी हकदारियों के अनुसार बोर्ड द्वारा निश्चित की गई आपूर्तियों को सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तियों का विनियमन एवं नियंत्रण फाटकों का परिचालन और उनके सीमा क्षेत्र में किन्हीं अन्य मामलों में बोर्ड के दिन प्रतिदिन के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे ।
(ण) संबंधित कार्यकलापों का समनवय करना और उपयुक्त दिशा निर्देश देना ताकि जहां तक संभव हो निम्नलिखित का पालन सुनिश्चित किया जा सके:
(1) निधियों की उपलब्धता और शीघ्र परिणाम प्राप्त करने की वांछनीयता को ध्यान में रखकर विभिन्न संरचनाओं का निर्माण ।
(2) पेयजल आपूर्ति, सिंचाई उद्योग, जल विद्युत बोर्ड नियंत्रण आदि जैसे विभिन्न प्रयोगों के लिए योजनाओं का एकीकृत संचालन जिनमें बेसिन राज्यों के बीच समझौतों में प्रावधानों के अनुसार विभिन्न संरचनाओं के निर्माण के दौरान निकासिया भी शामिल हैं ।
(3) भूजल एवं सतही जल की गुणवत्ता का प्रबोधन, संरक्षण एवं उन्नयन करना; और
(4) अंतरराज्यीय परियोजनाओं का सुचारू रूप से क्रियान्वयन ।
(ट) जल ग्रहण क्षेत्र उपचार, जल विभाजक, प्रबंधन प्रभावित आबादी का पुनर्वास तथा अंतर-राज्यीय परियोजनाओं के पर्यावरण के संरक्षण हेतु योजनाएं एवं अन्य राज्यों के क्षेत्रों को जलमग्न करने वाली परियोजनाओं का सिहावलोकन ।
(ठ) ओखला बैराज तक तथा ओखला बैराज सहित सभी परियोजनाओं की प्रगति का प्रबोधन एवं पुनरीक्षण तथा बेसिन राज्यों द्वारा प्रस्तुत की गई कार्य योजनाओं के आधार पर परियोजनाओं को चरणबद्ध करने के लिए परामर्श देना ।
(ड) केंद्रीय भूजल बोर्ड के परामर्श से ऊपरी यमुना जल ग्रहण क्षेत्र में भूजल के अति दोहन का प्रबोधन करना तथा ऐसे भी विनियम बनाना जिनसे भूजल के अतिदोहन को रोका जा सके जो की सतही प्रवाह के लिए हानिकारक है तथा जिन से विशेष रूप से नदी प्रणाली में नयुन्तम प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके ।
(ढ) प्रत्येक वर्ष के दौरान बोर्ड द्वारा किए गए कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट केंद्रीय सरकार के साथ-साथ बेसिन राज्यों को भी प्रस्तुत करना ।
(ण) ऐसे अन्य कार्य जो केंद्रीय सरकार हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश राज्य सरकारों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के साथ परामर्श करके सोपना चाहे ।